(१)
उनका कर्ज चुकाने को,
अपना फर्ज निभाने को।
नया ख़ून तैयार खड़ा है,
राजनीति मेँ आने को॥
(२)
जागी अब तरुणाई है,
देश ने ली अंगडाई है।
नई उमर की नई फसल,
अब राजनीति मेँ आई है॥
(३)
जण गण मन अधिनायक,
जो है भाग्य विधाता।
लोकतंत्र के सिंहासन का,
असली मालिक मतदाता॥
(४)
किसी वाद पर दो मत ध्यान,
राष्ट्रहित मेँ दो मतदान॥
(५)
जाती धर्म और भाषावाद,
करना है इनका प्रतिवाद॥
Sunday, April 13, 2008
देश के युवाओं से आवाहन
Posted by chaya at 5:08 AM 4 comments
Labels: युवा
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